सांस्कृतिक पर्व और त्योहार केवल परंपराओं के निर्वाह भर नहीं होते, बल्कि वे बच्चों में मूल्यों, सृजनशीलता, सामाजिक जिम्मेदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का महत्वपूर्ण अवसर भी प्रदान करते हैं।
स्कूल ऑफ क्रिएटिव लर्निंग में इस विषय पर निरंतर विचार-विमर्श होता रहता है कि विद्यालय की भूमिका केवल अकादमिक शिक्षा तक सीमित न रहकर सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ बच्चों के जीवन में उतारना भी है।
इसी क्रम में, इस वर्ष रक्षा बंधन पर्व को मनाने के लिए पाँच सूत्रीय कार्यक्रम तय किया गया –
रक्षा सूत्र स्वयं बनाना
बच्चों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपनी राखी स्वयं तैयार करें। इसके लिए राखी बनाने की नवीन तकनीकों, डिज़ाइनों और कलात्मक विधियों का परिचय कराया गया, जिससे उनकी रचनात्मकता और हाथों की दक्षता दोनों विकसित हों।
रक्षा बंधन का दायरा बढ़ाना
परंपरागत रूप से बहनें भाइयों को राखी बांधती थीं क्योंकि भाई घर से बाहर जाकर विभिन्न जोखिमों का सामना करते थे। आज समय बदल गया है—बहनें भी कार्य और शिक्षा के सिलसिले में बाहर जाती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि भाई भी बहनों को राखी बांधें। इस प्रकार भाई-बहन दोनों एक-दूसरे की रक्षा का संकल्प लें।
संबंध की पवित्रता
स्नेहबन्धनसंयुक्ता रक्षा धर्मस्य कारणम्।
(प्यार के बंधन से जुड़ी रक्षा, धर्म के पालन का कारण बनती है।)
प्रकृति और जीव-जंतुओं की रक्षा का संकल्प
रक्षा बंधन केवल इंसानों तक सीमित न रहकर वृक्षों, पालतू पशुओं और पर्यावरण की रक्षा के संकल्प से भी जोड़ा गया। बच्चों ने पेड़ों और अपने पालतू जानवरों को राखी बांधकर उनकी सुरक्षा और देखभाल का वचन लिया।
प्रकृति संरक्षण
माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः।
(पृथ्वी मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूँ — इसका संरक्षण मेरा कर्तव्य है।) — अथर्ववेद १२।१।१२
आधुनिक तकनीक का समावेश
बच्चों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि जगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक राखी बनाने को प्रोत्साहित किया गया। इस पहल से बच्चों ने इलेक्ट्रॉनिक्स, सर्किट डिज़ाइन और तकनीकी नवाचार की प्रारंभिक जानकारी भी प्राप्त की।
रक्षा सूत्र मंत्र का अध्ययन
राखी बांधते समय पारंपरिक रक्षा सूत्र मंत्र का उच्चारण सिखाया गया, ताकि इस त्योहार की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जड़ों को भी समझा जा सके।
रक्षा सूत्र मंत्र
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
(जिस सूत्र से दानवों के राजा महाबली को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूँ — हे राखी! तुम अडिग रहो, अडिग रहो।)
इस प्रकार, रक्षा बंधन केवल एक पारिवारिक या सामाजिक गतिविधि न रहकर, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और शैक्षणिक दृष्टि से समृद्ध अनुभव बन गया। यह कार्यक्रम बच्चों में परंपरा के सम्मान, नवाचार के प्रयोग, पर्यावरण संरक्षण और परस्पर सहयोग के मूल्यों को मजबूत करने का एक सशक्त माध्यम साबित हुआ।
रक्षा बंधन की अशेष शुभकामनाएं।




